देश और स्थितियां ‘बदलना’ चाहता है आज का युवा: मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि आज का युवा भारत दशकों पुरानी बड़ी-बड़ी समस्याओं को टालने की बजाय उनसे टकराने का संकल्प रखता है और 2022 तक देश को ऐसी सभी समस्याओं से मुक्त कर उसके सामर्थ्य को सशक्त बनाने के लिए तत्पर है। उन्होंने दिल्ली छावनी में गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने आये राष्ट्रीय कैडेट कोर के छात्र-छात्राओं की परेड की सलामी लेने के बाद समारोह को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। इस अवसर पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद यशो नाईक, चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत, तीनों सेनाओं के प्रमुख और रक्षा सचिव भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस देश के युवा में अनुशासन हो, दृढ़ इच्छाशक्ति हो, निष्ठा हो, लगन हो, उस देश का तेज गति से विकास कोई नहीं रोक सकता। देश का युवा जब बाहर जाता है और दुनिया देखता है, तब उसे भारत में दशकों पुरानी समस्याएं नजर आती हैं। अब युवा इन समस्याओं का शिकार होने के लिए तैयार नहीं है। वह देश बदलना चाहता है, स्थितियां बदलना चाहता है। यही है युवा सोच, यही है युवा मन, यही है युवा भारत, जो कह रहा है कि देश को अतीत की बीमारियों से मुक्त करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। देश के वर्तमान को सुधारते हुए, उसकी नींव मजबूत करते हुए तेज गति से विकास होना चाहिए और देश का हर निर्णय आने वाली पीढ़ियों को उज्जवल भविष्य की गारंटी देने वाला होना चाहिए।
कश्मीर समस्या पर नहीं दिया था किसी ने ध्यान: नई दिल्ली। मोदी ने कहा कि कभी-कभी कोई बीमारी लंबे समय तक ठीक न हो तो वो शरीर का हिस्सा बन जाती है। हमारे राष्ट्र जीवन में भी ऐसा ही हुआ है। ऐसी अनेक बीमारियों ने देश को इतना कमजोर कर दिया कि उसकी अधिकतर ऊर्जा इनसे लड़ने-निपटने में ही लग जाती है। जब से देश आजाद हुआ, तब से कश्मीर में समस्या बनी हुई है। समाधान के लिए कुछ नहीं किया गया। इसका परिणाम यह रहा कि कश्मीर को आतंक ने तबाह कर दिया। हजारों निर्दोष लोग मारे गए। लाखों लोगों को एक रात में घर छोड़कर हमेशा-हमेशा के लिए निकल जाने को मजबूर कर दिया गया और सरकार कुछ कर नहीं सकी।

बोडो समस्या को लेकर उठाया बड़ा कदम
प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर की समस्या का भी उल्लेख किया और कहा कि पांच -पांच, छह-छह दशक से वहां के अनेक क्षेत्र उग्रवाद से परेशान थे। अपनी-अपनी मांगों की वजह से पूर्वोत्तर में कई उग्रवादी संगठन पैदा हो गए थे। इन संगठनों का लोकतंत्र में विश्वास नहीं था। हमने एक तरफ पूर्वोत्तर के विकास के लिए अभूतपूर्व योजनाओं की शुरुआत की और दूसरी तरफ बहुत ही खुले मन और खुले दिल के साथ सभी पक्षकारों के साथ बातचीत शुरू की। बोडो समस्या को लेकर एक बहुत बड़ा और ऐतिहासिक समझौता इसी का परिणाम है। कुछ दिन पहले मिजोरम और त्रिपुरा के बीच ब्रू जनजाति को लेकर हुआ समझौता इसी का परिणाम है। इस समझौते के बाद ब्रू जनजातियों से जुड़ी 23 साल पुरानी समस्या का समाधान हुआ है। आने वाले वर्षों में सरकार ब्रू-रियांग जनजाति का जीवन आसान बनाने के लिए 600 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।

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