कानपुर : नगर निगम की दर्जनों कर्मचारी यूनियनों पर प्रतिबंध की मांग, जनसमस्याओं का कारण बनी नेतागीरी!

अभिषेक त्रिपाठी 

  • एक नगर निगम में ढेरों कर्मचारी यूनियनें बनीं मुसीबत, कर्मचारी नेता किये हैं दर्जन भर कमरों पर गैरकानूनी कब्जा
  • निगम कर्मियों की बार बार हड़ताल और बवाल से शहर में बढ़ रही जनसमस्याएं
  • पांच दिसम्बर को सदन के बाद एक फिर कर्मचारियों की हड़ताल और बवाल की आशंका
कानपुर। नगर निगम के कर्मचारियों की नाफरमानी, नकारेपन और गुंडई से जनप्रतिनिधि त्रस्त हो चुके हैं। अपने खिलाफ शिकायतों व कार्रवाई से बचने के लिए बार-बार हड़ताल और बवाल करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ पार्षदों ने मोर्चा खोल दिया है। इनमे रूलिंग पार्टी, भाजपा के ही कई पार्षद हैं। बुधवार, 5 दिसंबर को होने वाले सदन के दौरान ये पार्षद नगर निगम की कर्मचारी यूनियनों को प्रतिबंधित करने के जोरदार मांग करेंगे।
वहीं इन ‘कथित’ कर्मचारी यूनियनों द्वारा गैरकानूनी रूप से कब्जाए गए निगम परिसर के एक दर्जन कमरों को खाली कराने का दबाव बनाएंगे। उधर मेयर प्रमिला पांडेय ने भी अनुशासनहीनता करने वाले कर्मचारियों पर सख्त विभागीय कार्रवाई करने की बात कह दी है। वहीं मेयर ने “दैनिक भास्कर यूपी” से इस बात की भी पुष्टि कर दी कि यूनियन नेताओं ने गैरकानूनी रूप से कमरों पर कब्जा कर रखा है। यूनियनों को कमरे एलॉट नहीं किये गए। लेकिन कर्मचारी यूनियनों पर सख्ती किये जाने पर फिर से बवाल और हड़ताल की आशंका भी है। पार्षदों का आरोप है कि मोटा वेतन उठाने वाले निगम के कर्मचारी कभी अपनी बीट पर नहीं जाते। काम नहीं, केवल नेतागीरी और हड़ताल करते हैं। जिससे नगर निगम को करोड़ों का चूना लगता है। जनता को दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं।
नगर निगम को देना होगा इन छह सवालों का जवाब!
वार्ड 91 शास्त्री नगर से भाजपा के पार्षद राघवेंद्र मिश्रा ने बाकायदा एक आरटीआई दाखिल करके नगर निगम से ये 6 सवाल पूछे हैं। पहला – कानपुर नगर निगम में कितनी कर्मचारी यूनियनें हैं? दूसरा – इन कर्मचारी संघों को निगम परिसर में कितने कमरे आधिकारिक रूप से एलॉट किये गए हैं, आदेशों की छाया प्रति दें। तीसरा –  क्या निगम के कर्मचारी संघों में कोई बाहरी व्यक्ति पदाधिकारी हो सकता है? चौथा – सभी कर्मचारी संघों के नेताओं की पोस्टिंग किन-किन पदों पर है, क्या वो अपनी पोस्टिंन के अनुरूप काम कर रहे हैं? पांचवां – कर्मचारी नेताओं को क्यों और किसके आदेशों से कार्यालयों में अटैच किया गया?  छठवां – क्या नगर निगम में आयुक्त द्वारा संघों को चलाने की अनुमति है?
हर माह 30 करोड़ खर्च, फिर भी शहर कचरे से पटा
नगर निगम कानपुर में 7500 कर्मचारी हैं। इनमें अधिकतर सफाईकर्मी, मेट और बेलदार हैं, जिसमें बहुत से 30 से 35 हजार तक सैलरी पा रहे हैं। इतना ही नहीं कानपुर नगर निगम हर महीने अपने एम्प्लॉयीज की सैलरी पर कुल 30 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। और इस मोटी रकम में एक-तिहाई, यानी 10 से 12 करोड़ रुपये केवल चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के हिस्से जाता है। ये सब टैक्स के रूप में वसूला जाने वाला जनता का पैसा है। निगम के फोर्थ क्लास कर्मियों पर इस भारी-भरकम खर्च के बावजूद कानपुर में चारों तरफ गंदगी के ढेर और कूड़ा-करकट फैला दिखता है।
जनता त्रस्त, कर्मचारी नेता भ्रष्ट और मस्त!
वार्ड 64 सरोजनी नगर के भाजपा पार्षद नीरज बाजपाई कहते हैं कि सालों से नगर निगम कर्मचारियों ने काम नहीं करने, अधिकारियों और जनता की अनसुनी करने को अपना रवैया बना लिया है। ऐसे में गंदगी, कूड़े और प्रदूषण से त्रस्त जनता द्वारा शिकायत की जाती है, तो अधिकारी अपने हाथ खड़े कर देते हैं। क्योंकि नाफरमान नगर निगम कर्मियों द्वारा किसी भी प्रकार की कार्रवाई किये जाने पर तुरंत हड़ताल कर दी जाती है। भीषण नेतागीरी होने लगती है। कर्मचारी यूनियनों के आंदोलन शुरू हो जाते हैं। कर्मचारी अपने अधिकारियो और पार्षदों पर तुरंत उत्पीड़न तक के आरोप लगा डालते हैं। इस सब का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है। सड़कों पर जो थोड़ी बहुत सफाई हो जाती थी, कर्मचारी वो भी करना बंद कर देते हैं।
ये यूनियनें केवल नेताओं के काम की!
पार्षदों के अनुसार नगर निगम में नेतागीरी का हाल तो ये है कि कर्मचारियों ने एक दो नहीं, 29 यूनियनें बना रखी है। वैसे सही संख्या किसी को ज्ञात नहीं। जिसका भी मन हुआ, नई यूनियन के रूप में अपनी अलग “दुकान” खोल लेता है। मजे की बात ये की इन कथित कर्मचारी यूनियनों में से शायद ही कोई ऐसी हो जो असल मे कर्मचारियों का भला करती हो। क्योंकि खुद नगर निगम के कर्मचारी आए दिन शिकायत करते देखे जाते हैं कि फलां यूनियन के पदाधिकारी ने या नेता ने काम करवाने के लिए मोटी रकम वसूल ली। या फलां यूनियन के अध्यक्ष ने उधार के नाम पर उनको सूदखोर के जाल में फंसा लिया, अब वसूलीन रहा है। कुछ दिन पूर्व ही एक बाबू के उत्पीड़न से तंग राकेश कश्यप नाम के बेलदार ने नगर निगम परिसर में ही खुद को आग लगा ली थी। वो अभी भी अस्पताल में है। ये खबर सुर्खिओं में रही।

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